Monday, April 3, 2023

SSLC Hindi हताशा से एक व्यक्ति बैठा गया था | Questions & Answers


हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था 

 1. "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था  " कविता किसकी रचना है ?

उत्तर :

 विनोद कुमार शुक्ल की

2. "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था " कविता की आस्वादन टिप्पणी किसने तैयार किया ?

उत्तर :

 नरेश सक्सेना

3. "व्यक्ति को मैं नहीं जानता था " इसमें 'मैं ' कौन है ?

उत्तर :

 कवि / विनोद कुमार शुक्ल

4. कवी हताश व्यक्ति के पास क्यों गया?

उत्तर :

 क्योंकि कवी जानते हैं कि उस व्यक्ति हताशा में है  | इसलिए उसे मदद करना चाहते हैं |

5. व्यक्ति को हालत देखकर कवि ने क्या किया ?

उत्तर :

 कवी उसके पास आया, उसके ओर  हाथ बढ़ाया और साथ चला  |

6. 'हाथ बढ़ाना' के मतलब क्या है ?

उत्तर :

 मदद करना / सहायता करना 

7. "व्यक्ति को मैं नहीं जानता था / हताशा को जानता था" इससे कवी क्या कहना चाहते हैं ?

उत्तर :

 हम किसी व्यक्ति को  नाम पता उम्र, ओहदे या जाति से जानना  नहीं चाहिए  |

बल्कि हम किसी व्यक्ति को उसकी हताशा निराशा असहायता या संकट से  जानना जरूरी चाहिए  | 

8. कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को क्या जानना जरूरी नहीं है ?

उत्तर :

 कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को उसके नाम  पता,उम्र,ओहदे या जाति से जानना जरूरी नहीं है  |

9. कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को क्या जानना जरूरी है ?

उत्तर :

 कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को उसके हताशा, निराशा, असहायता, या संकट से जानना जरूरी है  |

10. 'हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था' कविता किसकी याद दिलाती है ?

उत्तर :

 मनुष्य को मनुष्य की तरह जानने की याद दिलाती है  |

11. 'हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था' कविता की संदेश क्या है ?

उत्तर :

 दो मनुष्यों के बीच मनुष्यता का अहसास यानी मानवीय संवेदना होना जरूरी है  | बाहरी जानकारियाँ जरूरी नहीं है |

12. नरेश सक्सेना के मत में किसी व्यक्ति को जानने पहचानने की हमारी रूढ़ी क्या है?

उत्तर:

किसी व्यक्ति को उसके नाम, पते, उम्र, ओहदे या जाति से जानना ही हमारी रूढ़ी है।

13. 'हम दोनों साथ चले ' - कौन-कौन साथ चले |

उत्तर

कवि और हताशा व्यक्ति 

14. "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था" कविता की आशय पर एक टिप्पणी लिखें  |

 समकालीन हिंदी साहित्य के  विख्यात कवि  श्री  विनोद कुमार शुक्ल जी की  एक सुंदर कविता है "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था" | इस कविता में कवी किसी व्यक्ति को जानने पहचाने की  हमारी रुढ़ी को  तोड़ देते हैं  | कवी कहते हैं कि  हम किसी व्यक्ति को उसके  नाम, पता उम्र, ओहदे,या जाती से  जानना जरूरी नहीं है  | बल्कि हम किसी व्यक्ति को  हताशा,निराशा, असहायता,या संकट से नहीं जानते तो इसका मतलब यह है कि हम उसके बारे में कुछ नहीं जानते | 

 'जानना' शब्द को एक विशेष अर्थ देने से ही यह कविता की प्रसंगिकता सार्वाकलिक होता है | यह कविता मनुष्य को मनुष्य की तरह जानने की याद दिलाती है  | कविता की सन्देश यह है कि दो मनुष्यों के बीच मनुष्यता का अहसास यानी मानवीय संवेदना होना जरूरी है  | बाहरी जानकारियाँ जरूरी नहीं है | सड़क पर घायल पड़े अपरिचित व्यक्ति को देखकर क्या हम उसे मदद किया तो हम मनुष्य होते हैं  | यह कविता सरल शब्द से लिखा हुआ है  | इसीलिए इसे व्याख्या की दरकार ही नहीं है  | 

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