हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
1. "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था " कविता किसकी रचना है ?
उत्तर :
विनोद कुमार शुक्ल की
2. "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था " कविता की आस्वादन टिप्पणी किसने तैयार किया ?
उत्तर :
नरेश सक्सेना
3. "व्यक्ति को मैं नहीं जानता था " इसमें 'मैं ' कौन है ?
उत्तर :
कवि / विनोद कुमार शुक्ल
4. कवी हताश व्यक्ति के पास क्यों गया?
उत्तर :
क्योंकि कवी जानते हैं कि उस व्यक्ति हताशा में है | इसलिए उसे मदद करना चाहते हैं |
5. व्यक्ति को हालत देखकर कवि ने क्या किया ?
उत्तर :
कवी उसके पास आया, उसके ओर हाथ बढ़ाया और साथ चला |
6. 'हाथ बढ़ाना' के मतलब क्या है ?
उत्तर :
मदद करना / सहायता करना
7. "व्यक्ति को मैं नहीं जानता था / हताशा को जानता था" इससे कवी क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर :
हम किसी व्यक्ति को नाम पता उम्र, ओहदे या जाति से जानना नहीं चाहिए |
बल्कि हम किसी व्यक्ति को उसकी हताशा निराशा असहायता या संकट से जानना जरूरी चाहिए |
8. कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को क्या जानना जरूरी नहीं है ?
उत्तर :
कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को उसके नाम पता,उम्र,ओहदे या जाति से जानना जरूरी नहीं है |
9. कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को क्या जानना जरूरी है ?
उत्तर :
कवी के मत में हम किसी व्यक्ति को उसके हताशा, निराशा, असहायता, या संकट से जानना जरूरी है |
10. 'हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था' कविता किसकी याद दिलाती है ?
उत्तर :
मनुष्य को मनुष्य की तरह जानने की याद दिलाती है |
11. 'हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था' कविता की संदेश क्या है ?
उत्तर :
दो मनुष्यों के बीच मनुष्यता का अहसास यानी मानवीय संवेदना होना जरूरी है | बाहरी जानकारियाँ जरूरी नहीं है |
12. नरेश सक्सेना के मत में किसी व्यक्ति को जानने पहचानने की हमारी रूढ़ी क्या है?
उत्तर:
किसी व्यक्ति को उसके नाम, पते, उम्र, ओहदे या जाति से जानना ही हमारी रूढ़ी है।
13. 'हम दोनों साथ चले ' - कौन-कौन साथ चले |
उत्तर
कवि और हताशा व्यक्ति
14. "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था" कविता की आशय पर एक टिप्पणी लिखें |
समकालीन हिंदी साहित्य के विख्यात कवि श्री विनोद कुमार शुक्ल जी की एक सुंदर कविता है "हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था" | इस कविता में कवी किसी व्यक्ति को जानने पहचाने की हमारी रुढ़ी को तोड़ देते हैं | कवी कहते हैं कि हम किसी व्यक्ति को उसके नाम, पता उम्र, ओहदे,या जाती से जानना जरूरी नहीं है | बल्कि हम किसी व्यक्ति को हताशा,निराशा, असहायता,या संकट से नहीं जानते तो इसका मतलब यह है कि हम उसके बारे में कुछ नहीं जानते |
'जानना' शब्द को एक विशेष अर्थ देने से ही यह कविता की प्रसंगिकता सार्वाकलिक होता है | यह कविता मनुष्य को मनुष्य की तरह जानने की याद दिलाती है | कविता की सन्देश यह है कि दो मनुष्यों के बीच मनुष्यता का अहसास यानी मानवीय संवेदना होना जरूरी है | बाहरी जानकारियाँ जरूरी नहीं है | सड़क पर घायल पड़े अपरिचित व्यक्ति को देखकर क्या हम उसे मदद किया तो हम मनुष्य होते हैं | यह कविता सरल शब्द से लिखा हुआ है | इसीलिए इसे व्याख्या की दरकार ही नहीं है |
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