Friday, May 5, 2023

पक्षी और दीमक Class 9 Hindi

 पक्षी और दीमक

                                                   मुक्तिबोध

1. 'पक्षी और दीमक' किस विधा की रचना है?

उत्तर :

 कहानी 

2 'पक्षी और दीमक' किसकी रचना है?

उत्तर :

 मुक्तिबोध की 

3. 'पक्षी और दीमक कहानी' की मुख्य पात्र कौन- कौन हैं ?

उत्तर :

एक नौजवान पक्षी , एक गाड़ी वाला  और नौजवान पक्षी के पिता 

4. नौजवान पक्षी के विशेषताएं क्या क्या है ?

उत्तर :

 उसको नीले आसमान में बहुत ऊंचाइयों पर  उड़ जा सकता था | उसके साथ उसके पिता और मित्र भी थे | उसकी निगाहों में भी बहुत तेज थी | उनकी दूर-दूर की भनक और महक भी मिल जाती  |

5. नौजवान पक्षी जमीन पर क्या देखा ?

उत्तर :

 एक गाड़ी वाला बड़े-बड़े बोरों में दिमकें भरकर बेचता है |

6. गाड़ी वाला चिल्ला- चिल्लाकर क्या कहता है ?

उत्तर :

 "दो दीमकें लो एक पंख दो |"

7. गाड़ीवाला दीमक के बदले क्या खरीदता है ?

उत्तर :

पंख

8. गाड़ीवाला पंख के बदले क्या बेचता है ?

उत्तर :

दीमकें

9. पक्षी और गाड़ी वाला के बीच में हुआ सौदा क्या था?

उत्तर :

 पक्षी  गाड़ी वाला को अपने पंख देकर दीमकें खरीदेगा |

10. पक्षी गाड़ीवाला से दीमक खरीदने का निश्चय क्यों किया?

उत्तर :

नौजवान पक्षी को दीमकें बढ़िया शौक था। पक्षी जानता है कि दीमकें सिर्फ जमीन पर मिलेंगे | कभी-कभी पेड़ों के ऊंची टालों तक वे अपना मटियाला लंबा घर  बना लेती,  लेकिन  ऐसे कुछ ही पेड़ होते , और वे सब एक जगह नहीं मिलते  | इसीलिए नौजवान पक्षी को यह सौदा बड़ी सुविधा लगा  |

11. पक्षी अपने पंख देकर दीमक लेता है। यहाँ पक्षी का कौन-सा मनोभाव प्रकट होता है?

उत्तर:

नौजवान पक्षी को अपने भविष्य और अस्तित्व के बारे में कोई चिंता नहीं है। वह हमेशा बिना मेहनत से, आसानी से मिलनेवाले भोजन मिलने की चाहनेवाला है |

12. "दीमकें हमारा स्वाभाविक आहार नहीं है, और उनके लिए अपने पंख तो हरगिज़ नहीं दिए जा सकते।"- यह किसका कथन है? वे ऐसे क्यों कहा?

 उत्तर:

  यह नौजवान पक्षी के पिता की कथन है | नौजवान पक्षी अपने पंख देकर  गाड़ी वाला से  दीमकें खरीदता है  | इसी कारण  से वह अपना अस्तित्व नष्ट होता है | पंख के बिना  पक्षी को उड़ नहीं सकते  | इसीलिए पिता ने ऐसे कहा  |

13. 'दीमकें हमारा स्वाभाविक आहार नहीं है, और उनके लिए अपने पंख तो हरगिज़ नहीं दिए जा सकते।’-इस कथन के आधार पर वर्तमान संस्कृति का विश्लेषण करें।

उत्तर:

यह हमारी खाद्य संस्कृति की ओर संकेत किया गया है। हम अपने स्वाभाविक आहार को छोड़कर फास्टफुड़ संस्कृति के पीछे भाग रहे हैं। पहले यह बहुत सुविधा लगेगा  | लेकिन अंतिम परिणाम भयानक होगा।

14. पक्षी को बेवकूफ़ कहने के संबंध में आपकी राय क्या है?

उत्तर:

यह बिलकुल सही है। मैं इससे बिल्कुल सहमत हूँ | यह पक्षी प्रलोभन में फंसकर अपना अस्तित्व खोता है। दीमकें के बदले पंख देकर उसको अपने उड़ने की क्षमता नष्ट हो गया | अंत में वह अपना अस्तित्व वापस लेने का प्रायास तो करता है। लेकिन तब तक उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है। पक्षी का व्यवहार बेवकूफ़ी ही है।

15. कहानी के अंत में नौजवान पक्षी को क्या हुआ ?

उत्तर :

 दीमक के बदले  अपने पंख देने के बाद पक्षी को  उड़ने की अपनी क्षमता खो दी | वह खुद दीमकें इकट्ठा करके  गाड़ी वाला से  अपने नष्ट हुवा पंख वापस लेने की कोशिश किया  | लेकिन गाड़ी वाला  उसको  पंख न दिया और उसे बेवकूफ बुलाकर चला गया  | इसके बाद एक काली बिल्ली आकर उसे पकड़कर  ले गया  |

16. आज के ज़माने में ‘पक्षी और दीमक’ कहानी की प्रासंगिकता कहाँ तक है? चर्चा करके टिप्पणी लिखें।

उत्तर:

 पक्षी और दीमक 

 हिंदी साहित्य के प्रगतिशील  कहानीकार  श्री. मुक्तिबोध के एक  सुंदर कहानी है ‘पक्षी और दीमक’। इसमें एक नौजवान पक्षी एक गाड़ीवाला से  अपना पंख देकर दीमक खरीदकर खाने लगता है। अपने माता-पिता के उपदेश तक को वह नहीं मानता  है। अंत में पक्षी को  उड़ने की अपनी क्षमता खो दी | बहुत देर के बाद   उसको समझ आया कि वह अपने अस्तित्व को नष्ट कर गया  | इसके बाद  वह खुद दीमकें इकट्ठा करके  गाड़ी वाला से  अपने नष्ट हुवा पंख वापस लेने की कोशिश किया  | लेकिन गाड़ीवाला  उसको  पंख न दिया और उसे बेवकूफ बुलाकर चला गया  | इसके बाद एक काली बिल्ली आकर उसे पकड़कर  ले गया  |

 यह कहानी की असलियत में आजकल भी प्रासंगिकता है  | विज्ञापन के ज़रिए हमारे सामने कई प्रलोभन प्रस्तुत करते हैं। हम नौजवान बिना सोचे-समझे उसमें फँस जाते हैं। अंत में हम अपना अस्तित्व खोते हैं। जब हम अपनी गलती समझते हैं, तब तक सब कुछ नष्ट हो जाता है। आज के ज़माने में यह कहानी बिलकुल प्रासंगिक है।

17. पक्षी की चरित्रगत विशेषताओं का विश्लेषण करें। टिप्पणी लिखें।

उत्तर:

‘हिंदी साहित्य के प्रगतिशील  कहानीकार  श्री. मुक्तिबोध के सुंदर कहानी ‘पक्षी और दीमक’ का मुख्य पात्र है नौजवान पक्षी  | उसको नीले आसमान में बहुत ऊंचाइयों पर  उड़ जा सकता था | उसके साथ उसके पिता और मित्र भी थे | उसकी निगाहों में भी बहुत तेज थी | उनकी दूर-दूर की भनक और महक भी मिल जाती  | उसको दीमकें बढ़िया शौक था। वह एक आलसी स्वभाव का है। मेहनत के बिना भोजन पाने का इच्छुक है। इसी कारण से वह जल्दी से गाड़िवाला के प्रोलोभन में फँस जाता है | वह गाड़ीवाला से  अपना पंख देकर दीमक खरीदकर खाने लगता है। अपने माता-पिता के उपदेश तक को वह नहीं मानता  है। अंत में पक्षी को  उड़ने की अपनी क्षमता खो दी | बहुत देर के बाद   उसको समझ आया कि वह अपने अस्तित्व को नष्ट कर गया  | इसके बाद  वह खुद दीमकें इकट्ठा करके  गाड़ी वाला से  अपने नष्ट हुवा पंख वापस लेने की कोशिश किया  | लेकिन गाड़ीवाला  उसको  पंख न दिया और उसे बेवकूफ बुलाकर चला गया  | इसके बाद एक काली बिल्ली आकर उसे पकड़कर  ले गया  |

18. दोनों का सौदा तय हो जाता है  | अपनी चोंच से एक पर को खींचकर  तोड़ने में उसे तकलीफ होती है ; लेकिन उसे वह बर्दाश्त कर लेता है  | मुंह में बड़े स्वाद के साथ दो दीमकें दबाकर वह पक्षी फुर्र से उठ जाता है |

 Question : इस घटना के बारे में  एक पटकथा का दृश्य लिखें  |

दृश्य -एक

स्थान : जंगल की एक रास्ता

समय : सबेरे नौ बजे

पात्र   : नौजवान पक्षी और एक गाड़िवाला

दृश्य का विवरण :

नौजवान पक्षी जंगल के रास्ते से सटे एक पेड़ के डाल पर बैठता है। सड़क से एक गाड़ीवालाआता है। उसके गाड़ी में भरे बोरों में दीमकें हैं। गाड़ीवाला चिल्ला - चिल्लाकार कहते है '‘दो दीमकें लो… एक पंख दो... " पक्षी और गाड़ीवाला बात करते हैं।

संवाद :

गाड़ीवाला : दो दीमकें लो… एक पंख दो...

पक्षी : अरे गाड़ीवाले, मुझे दीमकें चाहिए |

गाड़ीवाला : अच्छा | तेरा एक पंख खींचकर तोड़ने मुझे दो, मैं दो दीमकें दे दूंगा।

पक्षी : पर! मुझे कैसे पंख दे सकता हूँ? मुझे बहुत दर्द होगा |

गाड़ीवाला : हाँ, पर। यह दीमक तो बहुत स्वादिष्ट है। चाहे तो ले लो।

पक्षी : ठीक है, गाड़ीवाले। लो एक पंख। दो दीमकें दो।

(पक्षी कठिनाई से पर तोड़कर गाड़ीवाले को देता है और दो दीमकें लेकर उड़ जाता है)

गाड़िवाला : लो ये दीमकें, और खाओ खुशी से |

पक्षी : (एक दीमक को खाया और कहा ) तुम बिलकुल ठीक हो | ये दीमकें बहुत स्वादिष्ट है | मैं रोज़ आकर खरीदूँगा |

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