Thursday, April 10, 2025

 खिड़की - अंजू खरबन्दा

1. ए सी के बजाय जनरल कोच से सफर का आनंद लेना - इसका मतलब क्या हो सकता है ?

उत्तर :

एसी कोचों में ज्यादातर अमीर लोग ही सफर करते हैं। उनके बीच कोई बातचीत नहीं होती। इसलिए, एसी कोच में यात्रा करना अक्सर उबाऊ हो सकता है। लेकिन जनरल कोच में हम कई साधारण लोगों को एक साथ देख सकते हैं। इससे हमें अलग-अलग लोगों की जीवनशैली को समझने और मित्रता साझा करने का अवसर मिलता है।

2. युवती का गला रूँध जाने का कारण क्या हो सकता है?

उत्तर : 

 जब महिला यात्री ने 100 रुपये में शॉल मांगी तो युवती यह सोचकर बहुत दुख हुआ कि यह उसके लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा।


3. "वो एक बार में ही टेढ़ सौ में मान गई | गलती की, थोडा तोल - मोल और करना चाहिए था " - इस कथन से लोगों के किस मनोभाव का परिचय मिलता है?

उत्तर:

यहाँ मनुष्य की अधिक लाभ पाने की लालच को दर्शाता है।

4. "उनकी आंखों में भी वही नमी थी, जो आज उस युवती की आंखों में थी |" लेखक को पिताजी और उस युवती में कौन सी समानता हो सकती है?

उत्तर :

उस युवती की तरह, लेखक का पिता भी रेलगाड़ि में सामान बेचने का काम करता था | वे दोनों अपने परिवारों के लिए मेहनत करते हुए समान रूप से थक चुके थे। इसलिए, दोनों की आंखों में निराशा के आंसू देखे जा सकते थे।


5. रेलगाड़ी के अनुभव ने पति को अपने पिता की याद दिलाई | उनकी डायरी लिखें  |

उत्तर :

20 जून 2025

रविवार 

 आज मेरा जीवन के सबसे अविस्मरणीय दिन था | उस घड़ना मैं कैसे भूल सकता हूँ ? होशियारपुर से मुझे एक शादी का बुलावा आया था | बीवी और बच्चे के साथ ट्रेन में जाने की तय हुआ | सर्दी के कारण ए सी के बजाय जनरल कोच चुने गए | डिब्बे में जम्मू की शॉल बेचने वाली एक युवती आई | मेरे पत्नी और उस युवती के बीच में सौदा हुआ | जब युवती ने शॉल की कीमत 200 रुपये बताई तो पत्नी ने 100 रुपये को देने की कहा।उस समय युवती का गला रुंध गया और उसकी आंखों में आंसू भर गया। इसे देखकर मुझे अपने पिता की याद आ गयी। वह भी इस युवती की तरह रेलगाड़ि में सामान बेचने का काम करता था। जब मेरे पिता काम के बाद थके हारे घर आते तो मैं उनकी आंखों में भी ऐसे ही नमी देखता था। जरूर, आज का दिन मुझे कभी नहीं भूल सकता | भगवान उस युवती को आशीर्वाद दें।


6. रेलगाड़ी के अनुभव के जिक्र करते हुए पत्नी की डायरी लिखें  |

उत्तर :

20 जून 2025

रविवार 

 आज मेरा जीवन के सबसे अविस्मरणीय दिन था | उस घड़ना मैं कैसे भूल सकता हूँ ?  होशियारपुर से हमको एक शादी का बुलावा आया था | पती और बच्चे के साथ ट्रेन में जाने की तय हुआ | सर्दी के कारण ए सी के बजाय जनरल कोच चुने गए | डिब्बे में जम्मू की शॉल बेचने वाली एक युवती आई | उस युवती और मेरे बीच में एक सौदा हुआ | जब युवती ने शॉल की कीमत 200 रुपये बताई तो मैंने 100 रुपये को देने की कहा। उस समय युवती का गला रुंध गया और उसकी आंखों में आंसू भर गया। इसे देखकर मुझे थोड़ा दुखी हुई । जब मैंने शॉल के लिए 150 रुपये देने की कहा तो वह मान गईं । यह मेरी गलती थी | थोड़ा तोल-मोल और करना चाहिए था  | जरूर, आज का दिन मुझे कभी नहीं भूल सकता | भगवान सबको भला करें ।


रेलगाड़ी के अनुभव ने पति को अपने पिता की याद दिलाई | ये सारे घड़ानाए जिक्र करते हुए पति अपने दोस्त के नाम पर एक पत्र लिखता है| वह पत्र कल्पना करके दिखे  |


उत्तर :

                                                                             स्थान :

                                                                             तारीख:

 प्रिय सुशील,

 कैसे हो तुम? सोचता हूँ तुम कुशल हो | मैं भी यहाँ कुशल हूँ | तुम्हारा काम कैसे चल रहा है? अगला छुट्टी में तुम इधर आओंगे? मैं तुझे हमेशा इंतजार करता हूँ| 

 मैं तुमसे मेरे जीवन का एक खास खबर सांचा करना चाहता हूँ | कल मेरा जीवन के सबसे अविस्मरणीय दिन था | उस घड़ना मैं कैसे भूल सकता हूँ ? होशियारपुर से मुझे एक शादी का बुलावा आया था | बीवी और बच्चे के साथ ट्रेन में जाने की तय हुआ | सर्दी के कारण ए सी के बजाय जनरल कोच चुने गए | डिब्बे में जम्मू की शॉल बेचने वाली एक युवती आई | मेरे पत्नी और उस युवती के बीच में सौदा हुआ | जब युवती ने शॉल की कीमत 200 रुपये बताई तो पत्नी ने 100 रुपये को देने की कहा।उस समय युवती का गला रुंध गया और उसकी आंखों में आंसू भर गया। इसे देखकर मुझे अपने पिता की याद आ गयी। वह भी इस युवती की तरह रेलगाड़ि में सामान बेचने का काम करता था। जब मेरे पिता काम के बाद थके हारे घर आते तो मैं उनकी आंखों में भी ऐसे ही नमी देखता था। जरूर, आज का दिन मुझे कभी नहीं भूल सकता | भगवान उस युवती को आशीर्वाद दें।

 इसी के साथ मैं अपना पत्र समाप्त करता हूँ | तुम्हारा परिवार वालों को मेरा शुभकामनाएं दे | तुम्हारा जवाब पत्र का प्रतीक्षा से...

                                                              तुम्हारा प्यारा मित्र,

                                                               प्रकाश. टी

                                                               (हस्ताक्षर)

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