बहुत दिनों के बाद - नागार्जुन
हिंदी साहित्य की प्रगतिवादी कवी श्री नागार्जुन द्वारा रचित सुन्दर कविता है 'बहुत दिनों के बाद' । यह कविता कवि के प्रकृति-प्रेम पर आधारित है। इस कविता में कवी कहते हैं कि उसको ऐन्द्रिय सुख की अनुभूति केवल प्रकृति से ही प्राप्त होती है।
बहुत दिनों के बाद अपने गाँव में लौटते समय कवी प्रकृति का सौंदर्य का भरपूर आनन्द लेता है । वह खेत में पकी - सुनहली फसलों की मुस्कान जी भर देखता है । अपने गाँव की धान कूटती किशोरियों के गीत सुनते तो उसके कान तृप्त होता है | मौलसिरी के ताजे फूलों की सुगंध उसकी नाक की प्यास बुझाता है ।
कवि कहता है कि उसे गाँव की पगडंडी पर चलते हुए गाँव की चन्दनवर्णी मिट्टी का स्पर्श-सुख मिलता है । बहुत दिनों के बाद तालमखाना और गन्नों के स्वाद से उसकी जिहा को भी सन्तुष्टि मिलता है | कवि को कई समय के बाद प्रकृति के विभिन्न वस्तुओं को देखने, सूंघने, सुनने, छूने तथा खाने का अवसर मिलता है ।
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