Friday, June 2, 2023

पिता का प्रायश्चित Class 8 hindi

 1. 'पिता का प्रायश्चित' किस विधा की रचना है ?

उत्तर :

संस्मरण

2. 'पिता का प्रायश्चित' किसकी रचना है ?

उत्तर :

अरुण गांधी की

3. अरुण गांधी किसका पोता है?

उत्तर :

महात्मा गांधी की

4. अरुण गांधी और उसके परिवार कहाँ रहते थे ?

उत्तर :

दक्षिण अफ्रीका में डरबन के करीब 18 मील दूर एक आश्रम में रहते थे |

5. उनके आश्रम किसने स्थापित किया था ?

उत्तर :

अरुण गांधी के दादाजी महात्मा गांधीजी ने 

6. अरुण गांधी और उसके बहिनें हमेशा शहर जाने की कोशिश करते थे  | क्यों?

उत्तर :

 क्योंकि उनका घर शहर से बहुत दूर था और वहाँ उसे कोई पड़ोसी नहीं था | इसलिए शहर जाने समय उन्हें अपने मित्रों को मिल सकेंगे और  उनके साथ सिनेमाघरों में फिल्म देख सकें |

7. उनके पिता ने अरुण गांधी से उन्हें कार में शहर ले जाने के लिए क्यों कहा?

उत्तर :

 उनकी वहाँ पूरे दिन की एक मीटिंग थी |

8. अपने मीटिंग खत्म होने से पहले पिताजी ने अरुण गांधी को कौन सा काम पूरा करने के लिए दिया था?

उत्तर :

कार की सर्विस करने की काम |

9. बताए गए कामों को  निपटाने के बाद अरुण गांधी ने कहा गया?

उत्तर :

सिनेमा घर में फिल्म देखने के लिए गया

10. अरुण गांधी ने शहर में कौन सी फिल्म देखा था ?

उत्तर :

 जॉन बैंन की एक दिलचस्प  फ़िल्म

11. "कार तैयार नहीं थी इसलिए देर हो गई |"- अरुण गांधी ने ऐसे झूठ क्यों कहा ?

उत्तर :

सर्विस करवाने केलिए कार गैरेज में देनें के बाद अरुण गांधी सीदे सिनेमाघर में जाकर जॉन बेन की एक पश्चमी फ़िल्म देखा | इसी के कारण  वह पिताजी के सामने आने को देर हो गया | शर्मिंदा होने के कारण पिताजी की सवाल को उसे सही जवाब दे नहीं सकता | इसीलिए वह ऐसे झूठ बोला |

12. “घर तक की अठारह मील की दूरी पैदल चलकर ही तय करूँगा।” मनीलाल गाँधी के इस निर्णय से आप सहमत हैं? क्यों?

उत्तर :

मैं इससे बिल्कुल सहमत करता हूँ । क्योंकि बेटे की गलती का कारण वे अपने को मानते हैं। इसके द्वारा उन्होंने अपने बेटे को अपनी गलती पर सोचविचार करने मौका देता है ।


13. सही मिलान करें |

वर्ष — इंतज़ार

सुदूर — मौका

प्रदेश —  बरस

अवसर — तलाश

प्रतीक्षा —  इलाका

ढूँढ़ —  दूरदराज


उत्तर:

वर्ष — बरस

सुदूर — दूरदराज

प्रदेश — इलाका

अवसर — मौका

प्रतीक्षा — इंतज़ार

ढूँढ़ — तलाश


14. मान ले मनिलाल गांधी अपने अनुभव को जिक्र करते हुए अपने मित्र के नाम पर पत्र लिखता है | वह पत्र कल्पना करके लिखें |

    उत्तर:


स्थान   :

तारीख :


प्रिय गोपाल,

नमस्कार 

 कैसे हो तुम? सोचता हूँ तुम ठीक हो | हम यहाँ डरबन में खुशी से जी रहे हैं |तुम कब इधर आओगे? मैं तुझे इंतज़ार करता हूँ |

अपने जीवन के एक मुख्य बात बताने केलिए मैं यह पत्र लिखता हूँ | कल मैंने अपने बेटा अरुण गांधी की एक गलती पर खुद से प्रायश्चित किया | कल मुझे शहर में एक मीटिंग थी | उसने मुझे कार में वहाँ छोड़ा | शाम पाँच बजे को वापस ले जाने की आदेश दिया था | लेकिन सिनेमा देखकर वह देर हो गया | देरी के कारण पूछते पर वह झूठ बोला कि गैराज से कार ठीक करके  लाने में देर हो गई |

 मैंने उसका झूठ को अपना गलती माना | इसलिए मैंने घर तक का पूरा रास्ता पैदल चला | यह देखकर उसको दुःख हुआ | उस घटने के बाद  वह एक अहम निर्णय लिया कि वह कभी भी झूठ नहीं बोलेगा | 

 इसी के साथ मैं अपना पत्र समाप्त करता हूँ | अपने मित्रों और परिवारजनों को मेरा प्रणाम बताएं। तुम्हारा जवाब पत्र की प्रतीक्षा से...

 तुम्हारा प्यारा मित्र

 मणिलाल गांधी

( हस्ताक्षर )


सेवा में  

नाम 

पता


15. मान ले अरुण गांधी अपने अनुभव को जिक्र करते हुए अपने मित्र के नाम पर पत्र लिखता है | वह पत्र कल्पना करके लिखें |

उत्तर :

स्थान   :
तारीख :

प्रिय गोपाल,
नमस्कार 
 कैसे हो तुम? सोचता हूँ तुम ठीक हो | हम यहाँ डरबन में खुशी से जी रहे हैं |तुम कब इधर आओगे? मैं तुझे इंतज़ार करता हूँ |
अपने जीवन के एक मुख्य बात बताने केलिए मैं यह पत्र लिखता हूँ | कल मेरे पिताजी ने मेरी एक गलती पर खुद से प्रायश्चित किया | कल उनको शहर में एक मीटिंग थी | मैं उन्हें कार में वहाँ छोड़ा | शाम पाँच बजे को वापस ले जाने की आदेश दिया था | लेकिन सिनेमा देखकर मैं देर हो गया | देरी के कारण पूछते पर मैं झूठ बोला कि गैराज से कार ठीक करके  लाने में देर हो गई |
 उन्होंने मेरा झूठ को अपना गलती माना | इसलिए उन्होंने घर तक का पूरा रास्ता पैदल चला | यह देखकर मुझे दुःख हुआ | उस घटने के बाद मैं एक अहम निर्णय लिया कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलेगा | 
 इसी के साथ मैं अपना पत्र समाप्त करता हूँ | अपने मित्रों और परिवारजनों को मेरा प्रणाम बताएं। तुम्हारा जवाब पत्र की प्रतीक्षा से...
 तुम्हारा प्यारा मित्र
 अरुण गांधी
( हस्ताक्षर )

सेवा में  
नाम 
पता

 16. अरुण गांधी का डायरी  लिखें |

उत्तर :

20 जून 2024
रविवार 
 आज मेरे जीवन के सबसे अविस्मरणीय दिन था | आज का दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ? मैंने अपने जीवन में ऐसे अनुभव का कभी सामना नहीं किया| कल मेरे पिताजी ने मेरी एक गलती पर खुद से प्रायश्चित किया | कल उनको शहर में एक मीटिंग थी | मैं उन्हें कार में वहाँ छोड़ा | शाम पाँच बजे को वापस ले जाने की आदेश दिया था | लेकिन सिनेमा देखकर मैं देर हो गया | देरी के कारण पूछते पर मैं झूठ बोला कि गैराज से कार ठीक करके  लाने में देर हो गई |
 उन्होंने मेरा झूठ को अपना गलती माना | इसलिए उन्होंने घर तक का पूरा रास्ता पैदल चला | यह देखकर मुझे दुःख हुआ | उस घटने के बाद मैं एक अहम निर्णय लिया कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलेगा


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